Sunday 11 December 2016

पल्लू गाँव में मिली माँ सरस्वती पर जारी डाक टिकिट का विवरण


                   पल्लू गाँव में  मिली माँ सरस्वती पर जारी  डाक टिकिट का विवरण

भारतीय डाक विभाग समय -समय पर डाक टिकिट जारी करता है। ये डाक टिकिट भारत की सांस्कृतिक
धरोहर ,इतिहास ,भूगोल ,संस्कृति ,ऐतिहासिक घटनायें ,भाषाएँ ,मुद्राएँ ,पशु -पक्षी ,वनस्पति ,लोगों की
जीवन शैली ,महापुरुष ,नेशनल हीरो और विविध विषयों पर होतेँ है। भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक
 टिकिट जारी करना एक बहुत बड़ा सम्मान माना जाता है। डाक -टिकिट का संग्रह विश्व के लोकप्रिय शौक में से एक है।

डाक टिकिट जारी होना बहुत बड़ा मान सम्मान माना जाता है। और ये मान सम्मान हनुमानगढ़ जिले के
पल्लू गाँव को मिला हुआ है। पल्लू गाँव के निवासी और आस पास के गाँव के निवासीओं को इस बात पर गर्व होना चाहिये।  बहुत लोगो को इस बात की जानकारी भी नहीं है। और ये जानकारी मुझे भी थोड़े दिन
पहले लगी है तो मेने सोचा पल्लू गाँव की ऐतिहासिक धरोहर की जानकारी से आप को भी परिचित
करवाऊँ ।

सन 1917 की खुदाई में पल्लू गाँव से मिली मां सस्वती की मूर्ति नई दिल्ली के राष्टिय संग्रहालय
में रखी हुई है। ये मूर्ति 12 वीं शताब्दी की चौहान काल की बहुत ही दुर्लभ कलाकृति है। माँ सरस्वती
की इसी मूर्ति पर भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा दो बार डाक टिकिट जारी किया है। डाक विभाग
के द्वारा दो बार डाक टिकिट जारी करना ये बताता है कि ये कितनी दुर्लभ कलाकृति है।

पल्लू गाँव में  मिली माँ सरस्वती पर जारी पहला डाक टिकिट :-



पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर ,महाराष्ट्रा में 10 से 12 जनवरी 1975 को आयोजित हुआ था। वसुधैव -
कुटुम्बकम की संकल्पना आधारित इस सम्मेलन का उद्धघाटन भारत की पूर्व प प्रधानमन्त्री स्व.श्रीमती
इंदिरा गांधी ने  किया। इस अवसर पर 25 पैसे मूल्य का डाक टिकिट जारी किया गया ,जिस पर पल्लू
गाँव से मिली दिल्ली के राष्टिय संग्रहालय में रखी सस्वती देवी की मूर्ति को दर्शाया गया है। डाक विभाग
द्वारा इस अवसर पर सरस्वती देवी  की 30 लाख  डाक टिकिट जारी की गयी थी।

भारत सरकार द्वारा जब भी डाक टिकिट जारी किया जाता है तब इस से संबधित एक ब्रोशर भी जारी
किया जाता है। 10 जनवरी 1975 को जारी डाक टिकिट से संबधित ब्रोशर में लिखा है की :-
इस डाक टिकिट में वाणी और विद्याओं की अधिष्ठात्री सरस्वती का का चित्र राष्टिय संग्रहालय नई दिल्ली
द्वारा बीकानेर* से प्राप्त बाहरवीं शताब्दी की चौहान कालीन शिल्पकृति का है।


पल्लू गाँव में  मिली माँ सरस्वती पर जारी दूसरा  डाक टिकिट :-



12 अप्रैल 1975 को विश्व तेलुगु सम्मेलन हैदराबाद में हुआ था। इस अवसर पर भी  25 पैसे मूल्य का डाक टिकिट जारी किया गया ,जिस पर पल्लू गाँव से मिली दिल्ली के राष्टिय संग्रहालय में रखी सस्वती देवी की मूर्ति को दर्शाया गया है। डाक विभाग द्वारा इस अवसर पर सरस्वती देवी  की 30 लाख  डाक टिकिट जारी की गयी थी। इस प्रकार पल्लू की इस सरस्वती देवी पर अभी तक  60 लाख  डाक टिकिट जारी हो चुके है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के डाक की वेबसाइट या डाक विभाग में आर.टी. आई. लगा कर प्राप्त की जा सकती है।

*यह मूर्ति सन 1917  में पल्लू गाँव के थेहड़ के खनन से प्राप्त हुई है। तब पल्लू गाँव तात्कालीन रियासत
बीकानेर के अधीन था। इसीलिए इस मूर्ति के बारे में पल्लू ,बीकानेर लिखा हुआ मिलता है।

नोट :डाक टिकिट का चित्र भारतीय डाक विभाग की वेबसाइट से लिया गया है।



संकलनकर्ता :जगदीश मनीराम साहू (निवासी ढाणी छिपोलाइ )

Friday 2 December 2016

पल्लू गाँव का प्राचीन पवित्र थेहड़ और मूर्तिकला भाग-2


राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले के गाँव पल्लू  के बीचोबीच एक प्रांचीन थेहड़ बना हुआ है।
रियासत काल में   सन 1917 में इटली के  राजस्थानी भाषाविद्ध और पुरावेत्ता डॉ लुईजी पीओ
तैसीतोरीने पल्लु गाँव के पुराने थेहड़ की खुदाई कराई और यहाँ के थेहड़ से 11 वीं  शताब्दी
की दो जैन सरस्वती की मूर्तियां मिली। उनमें से एक मूर्ति आज राष्ट्रीय संग्राहालय दिल्ली की
शोभा बढ़ा रही है तो दूसरी बीकानेर के संग्राहालय की। इन जैन सरस्वती की मूर्तियों से यह अनुमान
लगाया जाता है की 11 वीं शताब्दी में पल्लु  निवाशी जैन धर्म को मानने वाले थे।

राष्ट्रीय संग्राहालय नई दिल्ली में सरस्वती मूर्ति :-
                           (राष्ट्रीय संग्राहालय नई दिल्ली में पल्लू गाँव से प्राप्त सरस्वती मूर्ति)


इस संग्राहालय में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के पल्लू स्थान से प्राप्त 1.48  मीटर  ऊँचाई की
श्वेत संगमरमर से बनी खड्गासन सरस्वती की मूर्ति है। चार भुजाओं वाली सरस्वती देवी एक पूर्ण
विकसित पदम् -पुष्प पर आकर्षक त्रिभंग मुद्रा में खड़ी है। देवी अपनी बायीं भुजा में ऊपर के हाथ में
डोरी से बँधी हुई एक ताड़पत्रीय पोथी नीचे के हाथ में एक जल कलस (कमण्डल ) धारण किये हुए है।
दाहिनी भुजा में ऊपर के हाथ श्वेत कमल और नीचेके हाथ की हथेली में अक्षमाला ग्रहण किये धारण
किये है।

मां सरस्वती एक पारदर्शी वस्त्र धारण किये है। ये देवी शीश पर अति अलंकृत शिरोभूषन ,कण्ठमाला
और भुजबन्ध धारण किये है और साड़ी कटि -भाग  पर एक अत्यन्त अलंकृत करधनी (तागड़ी ) से
बँधी हुई है। देवी के सिर के पीछे कमलाकार आभामण्डल  है  और ऊपर जिनेन्द्र की लघु मूर्ति है।
यह मूर्ति चौहान काल की एक उत्कृष्ट कृति  मानी जाती है। नई  दिल्ली के राष्ट्रीय संग्राहालय के
अनुसार ये देश की दुर्लभ मूर्ति यानि संग्राहालय का प्राउड कलेक्सन है।
इस मूर्ति के बारे में अधिक जानकारी  आप नई  दिल्ली के राष्ट्रीय संग्राहालय की वेबसाइट पर
प्राप्त कर सकते है। यहाँ पर  क्लीक  करे http://www.nationalmuseumindia.gov.in/prodCollections

बीकानेर संग्राहालय जैन सरस्वती वाग्देवी की मूर्ति :-



(बीकानेर संग्राहालय  में पल्लू गाँव से प्राप्त जैन सरस्वती वाग्देवी मूर्ति)



बीकानेर संग्राहालय में भी पल्लू गाँव से प्राप्त मूर्ति सफेद संगमरमर की बनी जैन सरस्वती वाग्देवी की
है। मुख्य मूर्ति नई  दिल्ली के राष्ट्रीय संग्राहालय की मूर्ति से  काफी समानता रखती है। किन्तु  दाहिने
और पार्श्व भाग में परिचारिकाओं के ऊपर एक -एक  लघु  आकृति  बनी हुई है। इस मूर्ति के दोनों और
पार्श्व  में अलंकृत स्तंभो और तोरण से सज्जित है।  तोरण के शीर्ष भाग पर तथा दोनों पार्श्व में मन्दिर
के तीन आका बने है। यह मूर्ति बेहद खूबसूरत है।
जिस प्रकार हिंदु प्रतिमाओं में सरस्वती का जो महत्व है वही वाग्देवी सरस्वती का जैन धर्म में है।
ये दोनों जैन सरस्वती प्रतिमाएँ राजस्थान की मध्यकाल की कला उत्कृट  कृतियां  हैं।



संकलनकर्ता :-जगदीश मनीराम साहू (निवाशी ढाणी छिपोलाई )