Wednesday 23 November 2016

पूरा संपदाओं के भंडार है हनुमानगढ़ जिले के थेहड़




पूरा संपदाओं के  भंडार है हनुमानगढ़ जिले के थेहड़ ।


राजस्थान राज्य का हनुमानगढ़ जिले का पुरातात्विक दृष्टि से खासा महत्व है। हनुमानगढ़ ही वह
 जिला है जहाँ हुई खुदाई से युगों के परिवर्तन को बताने वाली अति प्राचीन सभ्यताओं का पता चला
 है जो हजारों  साल पुराणी समद्ध संस्कृति को महिमा मंडित करती है।


इन भू भाग में प्राचीन नगर जो काल की विनाश लीलाओं के कारन नष्ट हो  कर अब थेहड़ बन गये हैं,इन
से प्राप्त मूर्तियां सिक्के तथा अन्य वस्तुऐं  प्रमाणित करती हैं यह इलाका विभिन कालों की संस्कृति
  का पोषक रहा है। प्रत्येक काल  की राजनैतिक ,आर्थिक एवं सामाजिक उथल पुथल से प्रभावित रहा है।



प्राचीन नदी घाटी सभ्यता का केंद्र होने का कारन इस जिले में 100 से अधिक थेहड़ है जहाँ प्राचीन
संस्कृति के अवशेष दबे पड़े है। समय की भयंकर विनाश लीलाओं के कारन नष्ट हो चुके गांव और
 नगर इन थेहड़ों में युगों युगों से जैसे विश्राम कर रहे है। ये थेहड़ आज भी हजारों रहस्य समेटे हुए है।


कालीबंगा में खुदाई हुई तो पूरा पूरी दुनिया जैसे चकित रह गयी क्योंकि यहाँ से निल,वोल्गा और सिंधु
 घाटियों से भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए। महाभारत में वर्णित अष्ठमुनिकार मानवीय
अस्थिपंजर ,अज्ञातलिपि के लेख ,मुद्राएं मोहरे ,मिटी के बरतन ,बहुमुल्य गहने ,मनके ,मूर्तियां ,
खिलौने ,कुँए ,स्नानागार ,किला ,सुव्यवस्थित गलियां ,चौराहें  व नालियां यहां के थेहड़ों से से प्राप्त हुए।


पल्लू ,धानसिया ,करोति ,सोती ,पाण्डूसर ,सोनड़ी ,थिराना ,रावतसर ,लाडम ,मंदरपुरा ,जबरासर ,
भोमियों  की ढाणी ,भूकरका ,बिरकाली ,सिरंगसर ,खोडा ,न्योलकी ,धांधूसर ,बिसरासर ,हनुमानगढ़
,मुंडा ,मसानी,गंगागढ़ ,रोही ,मक्कासर ,सहजीपुरा ,बहलोलनगर ,दुलमाना ,रंगमहल ,बड़ोपल ,
डबलीराठान  और कालीबंगा आदि ऐसे   गाँव है जहाँ  थेहड़ बने है।


पुरातात्विक लिहाज से थेहड़ एक धरोहर है जिसकी खुदाई की जाए तो बहुत सी प्राचीन जानकारियां उपलब्ध हो सकती हैं। यदि इसके थेहड़ों का खनन किया जाएं तथा उनमें से प्राप्त वस्तुओं की आयु का आंकलन किया जाय  तो थेहड़ों वाले इलाके  प्राचीनता प्रकट होगी  तथा  इसके  क्रमिक उत्थान पतन का ज्ञान हो सकेगा।

निराशा के थेहड़ में भी आशा की उज्ज्वल किरण सुरक्षित है हमारे लिए जो आ ही जाएगी। इंतजार समय के पलटने का ।

      संकलनकर्ता :     जगदीश मनीराम साहू (निवासी ढाणी छिपोलाई )

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