सनातन धर्म की माताओं (देवियाँ ) के रूप
सनातन धर्म में स्रष्टि के मूल स्वरूप शिव भगवान माने गए है। शिव के ही तीन रूप ब्रह्मा,
विष्णु और महेश बने । ब्रह्मा ने संसार रचाया,विष्णु भगवान इसके पालन पोषण करता है,
और सबके प्रिय शिव भगवान इसके संहारकर्ता है ।इन तीनो भगवान की अर्धागिनीओं को
महादेवीं कहा जाता है।भगवान महेश की अर्धागिनी पार्वती जी है, विष्णु भगवान की
अर्धागिनी लक्ष्मी जी है और भगवान ब्रह्मा की अर्धागिनी सरस्वती जी है। इसीलिए
सनातन धर्म में देविओं के तीन भाग माने गए है :
महादेवी :
1. पार्वती जी ,2. लक्ष्मी जी , 3. सरस्वती
इन महादेवीओं से सभी देविओं का प्रादुर्भाव हुआ है !
नवदुर्गा :-
1. शैलपुत्री
2 . ब्रह्मचारिणी
3. चंद्रघटा
4. कुष्मांडा
5 . स्कंदमाता
6. कात्यायनी
7 .कालरात्रि
8 . महागौरी
9 . सिद्धिदात्री
सप्तमातृका :-
3 . कौमारी
4 .वैष्णवी
5. वाराही
6. इन्द्राणी
7 .चामुण्डा
दस महाविद्या :-
1. काली
2. तारा
3 . छिन्नमस्ता
4. भुवनेश्वरी
5. बगुलामुखी
6. धुमावती
7 . कमला
8. मातंगी
9 . षोडशी
10. भैरवी
इन सभी देवी रूपों की अपनी अपनी विशेषतायें है। इनकी अपने अपने गुण ,फल और
देने की शक्ति है।इन सभी देविओं में माता जगत जननी का रूप निहितहै,इसीलिए इनके नाम के आगे माता या मां शब्द जोड़े जाते है । ये सभी देवी रूप शक्ति का प्रतीक
भी है ,इसीलिए माता के स्थान को शक्तिपीठ कहा जाता है। देविओं के नाम भी इनके काम के अनुरूप ही है ।भारत भूमि के समस्त राज्यों में इन देविओं का किसी न किसी देवी
का मन्दिर जरूर मिल जायेगा ।
बोलिये पल्लु वाली माता ब्राह्मणी की जय हो।
संकलनकर्ता :-जगदीश मनीराम साहू (निवासी ढाणी छिपोलाई )
सनातन धर्म में स्रष्टि के मूल स्वरूप शिव भगवान माने गए है। शिव के ही तीन रूप ब्रह्मा,
विष्णु और महेश बने । ब्रह्मा ने संसार रचाया,विष्णु भगवान इसके पालन पोषण करता है,
और सबके प्रिय शिव भगवान इसके संहारकर्ता है ।इन तीनो भगवान की अर्धागिनीओं को
महादेवीं कहा जाता है।भगवान महेश की अर्धागिनी पार्वती जी है, विष्णु भगवान की
अर्धागिनी लक्ष्मी जी है और भगवान ब्रह्मा की अर्धागिनी सरस्वती जी है। इसीलिए
सनातन धर्म में देविओं के तीन भाग माने गए है :
महादेवी :
1. पार्वती जी ,2. लक्ष्मी जी , 3. सरस्वती
इन महादेवीओं से सभी देविओं का प्रादुर्भाव हुआ है !
नवदुर्गा :-
1. शैलपुत्री
2 . ब्रह्मचारिणी
3. चंद्रघटा
4. कुष्मांडा
5 . स्कंदमाता
6. कात्यायनी
7 .कालरात्रि
8 . महागौरी
9 . सिद्धिदात्री
सप्तमातृका :-
1. ब्रह्माणी (इनका पल्लु गांव में भव्य मन्दिर बना हुआ है।)
2. माहेश्वरी3 . कौमारी
4 .वैष्णवी
5. वाराही
6. इन्द्राणी
7 .चामुण्डा
दस महाविद्या :-
1. काली
2. तारा
3 . छिन्नमस्ता
4. भुवनेश्वरी
5. बगुलामुखी
6. धुमावती
7 . कमला
8. मातंगी
9 . षोडशी
10. भैरवी
इन सभी देवी रूपों की अपनी अपनी विशेषतायें है। इनकी अपने अपने गुण ,फल और
देने की शक्ति है।इन सभी देविओं में माता जगत जननी का रूप निहितहै,इसीलिए इनके नाम के आगे माता या मां शब्द जोड़े जाते है । ये सभी देवी रूप शक्ति का प्रतीक
भी है ,इसीलिए माता के स्थान को शक्तिपीठ कहा जाता है। देविओं के नाम भी इनके काम के अनुरूप ही है ।भारत भूमि के समस्त राज्यों में इन देविओं का किसी न किसी देवी
का मन्दिर जरूर मिल जायेगा ।
बोलिये पल्लु वाली माता ब्राह्मणी की जय हो।
संकलनकर्ता :-जगदीश मनीराम साहू (निवासी ढाणी छिपोलाई )
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